एक कायस्थ व्यापारी के पुत्र प्रेम बिहारी रायजादा ने भारत के संविधान की "पहली प्रति अपने हाथों से लिखी थी"
भारतीय संविधान की आज 70वी वर्षगांठ पर उस व्यक्ति को याद करना बहुत आवश्यक है जिसने भारत के संविधान की पहली प्रति को हाथों से लिखा !
वह व्यक्ति एक कायस्थ , प्रेम बिहारी नारायण रायजादा थे जिन्होंने संविधान सभा जिसके अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे, के अनुरोध पर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा को भारत के संविधान में अपनी उत्कृष्ट लेखनी से आत्मसात किया था और जिसके लिए उन्होंने किसी भी पारिश्रमिक को लेने से इंकार कर दिया था !
समस्त कायस्थ समुदाय के साथ देश के व्यापारी वर्ग को इस बात पर गर्व है की श्री प्रेम बिहारी रायजादा एक व्यापारी पुत्र थे। विश्व में किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के सबसे बड़े हस्तलिखित संविधान को हाथों से लिखने वाले रायज़ादा पूरे विश्व में एक अकेले व्यक्ति हैं !प्रेम बिहारी रायजादा ने कैलीग्राफी लेखन कला से भारतीय संविधान की दो मूल हस्तलिखित प्रतियां बनाई थी और संविधान की पहली प्रति भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद को 3 मई 1950 को राष्ट्रपति भवन में सौंपी थी ।
इस अवसर पर संविधान निर्माता समिति के अध्यक्ष डॉ. बाबा साहब आंबेडकर सहित संविधान सभा के अन्य सदस्य भी मौजूद थे । उनके द्वारा लिखे गए संविधान को ही संविधान सभा ने मान्यता दी और उसे ही भारत के संविधान के रूप में अपनाया गया।भारत का संविधान प्रेम बिहारी रायज़ादा ने उस समय के कर्जन रोड और वर्तमान के कस्तूरबा गाँधी मार्ग स्तिथ कॉन्स्टिट्यूशन हाउस के कमरा नंबर 124 में 6 महीने के समय में अपनी स्वर्णिम लेखन शैली में लिखकर देश के इस महानतम ग्रन्थ को जीवंत किया था । पार्चमेंट पेपर लगभग 1000 वर्ष तक खराब नहीं होता। संविधान की प्रस्तावना " हम भारत के लोग " भी रायज़ादा ने लिखी थी और उसका डिज़ाइन भी उन्होंने ही तैयार किया था।
संविधान के बॉर्डर की चमक एक और कायस्थ "राम व्योहार सिन्हा" ने की थी।भारतीय संविधान प्रेम बिहारी रायज़ादा ने 16 " X 22 " के "पार्चमेंट पेपर पर 251 पृष्ठों में लिखा था जिसे लिखने में 432 पेन होल्डर निब श्री रायज़ादा ने उपयोग में लिए थे।गौरतलब है की रायज़ादा ने इस महान कार्य के लिए एक भी पैसा नहीं लिया । ये कार्य उन्होंने केवल कैलीग्राफी कला के प्रति अपना अनुराग और देश प्रेम के लिए किया । भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद एवं लोकसभा के पहले स्पीकर श्री जी.वी.मावलंकर ने प्रेम बिहारी रायजादा द्वारा बिना किसी पारिश्रमिक के भारतीय संविधान को लिखा , की बहुत प्रशंसा की थी ।
कैलीग्राफी कला उन्होंने अपने दादा मास्टर रामप्रसाद से सीखी थी जो उस समय सेंट स्टीफंस कॉलेज में कैलीग्राफी के टीचर थे ।उस समय यह कॉलेज चांदनी चौक में हुआ करता था ।उनके पिता महाशय चतुर बिहारी नारायण स्टेशनरी के व्यापारी थे और आर्य बुक डिपो के नाम से दिल्ली में नई सड़क पर व्यापार करते थे ।वो दूकान आज भी आर्य स्टेशनर्स के नाम से नई सड़क पर उसी जगह पर स्थित है जिसको वर्तमान में योगेंद्र नारायण संभाल रहे हैं ।
प्रेम बिहारी नारायण रायजादा पुरानी दिल्ली के बाजार सीता राम में रहते थे ।उनका जन्म 17 दिसम्बर , 1901 को दिल्ली के एक प्रतिष्ठित व्यापारी परिवार में हुआ था ।
साभार डा आदित्य नाग