देश भर में विशेष तौर से उत्तरी भारत में आज सकट चौथ का त्यौहार मनाया जा रहा है । संकट चौथ का त्यौहार यूं तो हिन्दी भाषी प्रदेशों में मनाया जाता है । लेकिन देश विदेश में बसे हिन्दी भाषी राज्यों के लोग भी जहां निवास कर रहे है , संकट चौथ का त्यौहार मनाते है ।
"सकटचौथ" का त्यौहार मकर संक्रांति के बाद मनाया जाता है। इस अवसर पर हम कायस्थ समाज के लोग तिल और गुड़ का बकरा बना कर लड़के से काट वाते है और तिल गुड़ के बकरे की गर्दन काटते हुए लड़का अपने मुँह से बकरे की आवाज (मे मे ) निकलता है, फिर बकरे के सिर को लड़के खाते है। बकरा काटने पर घर के बुजुर्गों से आशीष और नकदी भी दी जाती है। यह परम्परा सदियो से चली आ रही है, इसके पीछे की एक कहानी है। जो इस प्रकार है।:-
एक बार बादशाह अकबर ने सभी हिंदुओ को बकरा काटने और उसको खाने का आदेश दिया और कहा कि बकरा न काटने पर कठोर से कठोर दंड देने का भी ऐलान किया।
दूसरे दिन सभी को लाल किले में यह पूछने को बुलाया गया कि बकरा काटा या नही काटा। कुछ हिन्दू लोगो ने झूँठ मूँठ बादशाह अकबर से कह दिया कि बकरा काट कर आये है, पर रामायण और गीता की कसम खिलवाने पर सभी ने अपने हाथ पीछे खींच लिए और उनका झूँठ पकड़ा गया और सभी को कठोर दंड का दिया गया।
कायस्थ भाई लोगो ने चतुराई से अपने अपने घर मे तिल और गुड़ का बकरा बना कर और उसे काट कर दरबार मे हाजिर हुए थे। और बादशाह के सामने बकरा काटने की सहमति दी और रामायण और गीता की सौगंध भी खाई। और बादशाह अकबर को बताया कि बकरा काटते समय में में कर रहा था और बकरे का सिर (सिरी) खा कर आ रहे है। बादशाह बहुत प्रसन्न हुए और "राय साहब" और "राय बहादुर" की उपाधियों से समानित किया।
यह एक भारी संकट आया था जो कायस्थ भाइयो ने अपनी बुद्धिमता से उसका विकल्प निकाल कर अपने को बचा लिया। संकट का अपभ्रश हो कर आज "सकट" हो गया है चूँकि उस समय ग्रह नक्षत्र चौथ थी इसलिए इसको "सकट चौथ" के नाम से जाना जाने लगा। इसमे विघ्न हर्ता श्री गणेश की पूजा की जाती है। सकट चौथ पर तिल गुड़ के बकरे को काट कर यह त्यौहार सिर्फ कायस्थ भाइयों में ही अभी तक मनाया जा रहा है।
सकट पूजा में महिलाएं तिल गुड़ के छोटे छोटे पेड़े बना कर अपने परिवारीजनों का नाम कहती जाती है और एक एक पेड़ा खाती जाती है।
सकट भानू काये से
घर से,
दौलत से,
बेटे से,
बहू से,
नाती नातिन से,
बेटी से,
दामाद से,
नाती धेपतो से,
पूजा में एक कहानी भी कही जाती है और चंद्रमा की अर्क देकर बुजुर्गो को वायना (भेंट) और नकद धन राशि चरण स्पर्श कर दी जाती है।
सकट रूपी श्री गणेश (विघ्न हर्ता) सभी के संकट हरों।